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मुकम्मल किया पहला रोज़ा 9 वर्षीय मासूम बालक 

मुकम्मल किया पहला रोज़ा 9 वर्षीय मासूम बालक

मुस्लिम समाज मे रमज़ान के महीना का बहुत बड़ा मर्तबा है। इस महीने में की गई हर एक इबादत व नेकी का सवाब 70 गुना मिलता है। इसी लिए मुस्लिम समाज को दिल से मानने वाले इस माहे रमज़ानुल मुबारक के पाक महीने में रोज़े रखने के साथ साथ इबादत, तिलावत, फितरा,ज़कात, सदका दिल खोल कर यह सोच कर करते है की अगले बरस कही रहमतो व बरकतों का महीना नसीब हो न हो। वैसे तो माहे रमज़ान के रोज़े हर सेहत याब मुसलमान पर फ़र्ज़ है। मुस्लिम समाज मे कुछ ऐसे भी नाम के मुसलमान है जिनका रोज़े व नमाज़ से दूर दूर का कोई वास्ता नही है। ऐसे मुसलमानो के लिए एक मिसाल पेश की है 9 वर्ष के एक मासूम बच्चे ने आइये देखते है पूरा मामला।
वीओ – इस समय उत्तर प्रदेश में गरमी अपने पूरे शबाब पर पहुंच चुकी है। इस महीने में पड़ रही गरमी की तपिश से जिस तरह प्यास की सिद्दत से होंठ खुश्क हो जाते है। ऐसे में माहे रमज़ान के रोज़े रखने में बच्चे क्या बड़े बड़ो के हौसले पस्त पड़ जाते है। अगर आपको हौसला देखना है तो देखिए उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले की सदर कोतवाली क्षेत्र स्थित यूसुफ जई मोहल्ला निवासी साईदूज़्ज़मा खान के बेटे सिद्दीक ज़मा खान का जिसने मात्र 9 वर्ष की अपनी उम्र में अपने 11 वर्षीय बड़े भाई शुभान ज़मा खान के नक्से कदम पर चलते हुए इस तपिस भरी गरमी में प्यास और भूख की सिद्दत पर काबू पाते हुए माहे रमज़ान का आज अपना पहला रोज़ा मुकम्मल किया। जहाँ रोज़ा इफ्तार के समय सिद्दीक ज़मा व उसके बड़े भाई शुभान ज़मा दोनो भाइयो को दूल्हे की तरह सजा कर फूलो के साथ साथ नोट का हार गले मे डाल कर पहला रोज़ा मुकम्मल करने की घर वालो के साथ साथ लोगो ने मुबारकबाद दिया। इस खुशी के मौके पर रिस्तेदारो व मोहल्ले पड़ोस के लोगो ने भी शिरकत कर बच्चो की हौसला अफजाई किया।

 

क्राइम 24 आवर्स न्यूज़ चैनल फतेहपुर से रोहित सिंह चौहान की रिपोर्ट

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