गोरखपुर,
लोगों के बैंक खाते से पैसा उड़ाने वाले गिरोह का मास्टर माइंड दरोगा का बेटा राघवेन्द्र मिश्रा निकला। उसने अपनी एक पूरी टीम बना रखी थी। टीम के कुछ सदस्य लोगों से बैंक खाते खुलवाते और उनका खाता किराये पर लेते तो कुछ सदस्य फिंगर प्रिंट का क्लोन बनाने के लिए रजिस्ट्री विभाग तथा अन्य माध्यमों से अंगूठे के निशान की चोरी करते वहीं एक टीम क्लोन तैयार करती फिर ग्राहक सेवा केन्द्र से फिंगर प्रिंट क्लोन का इस्तेमाल कर आधार के जरिये यह रुपये किराये के खाते में ट्रांसफर कर दिए जाते। वहां से उनका साथी एटीएम से रुपये निकाल लेता था। इस गिरोह के पीछे दिल्ली पुलिस भी लगी हुई थी।
पुलिस के मुताबिक राघवेन्द्र के बाद इस गिरोह में दूसरे नम्बर पर सोनू पासवान था। राघवेन्द्र ने नेपाल व दिल्ली में रहने वाले व्यक्तियों को पैसे देकर उनका विभिन्न बैंकों में खाता खुलवाया था और एटीएम कार्ड, चेकबुक,नेट बैंकिग का आईडी पासवर्ड एवं वीडियो केवाईसी कराकर सीएसपी बनाकर विभिन्न बैंक खातों से पैसे निकालता था। खाता खुलवाने वाली टीम राघवेन्द्र के अंडर में काम करती थी। वहीं सोनू पासवान के जिम्मे आधार कार्ड डाटा व फिंगर प्रिंट जुटाना था। फिंगर प्रिंट क्लोन बनवाकर वह एईपीएस ट्रान्जेक्शन के माध्यम से पैसे निकालता था। मुकेश कुमार सीएसपी संचालक है वह आधार कार्ड व फिंगर प्रिंट डाटा निकालकर गिरोह को बेचता था। विकास उर्फ विक्की सहजनवा तहसील में फोटो कापी की दुकान पर काम करता था। वह भू-लेख की वेबसाइट पर रजिस्ट्री पंजीकरण संख्या के माध्यम से आईजीआरएस की साइट पर रजिस्टर संख्या डालकर रजिस्ट्री का डाटा डाउनलोड कर लेता था और वहां से आधार कार्ड नम्बर व फिंगर प्रिंट का डाटा डाउनलोड करने के बाद सोनू पासवान को डाटा बेचता था। वहीं सैय्यद जावेद अली और अमित कन्नौजिया सोनू द्वारा उपलब्ध कराए गए डाटा के माध्यम से मिले फिंगर प्रिंट का क्लोन तैयार करते थे। आशीष पाठक पैन ड्राइव से फिंगर प्रिंट का डाटा एडिट कर जावेद अली को उपलब्ध कराता था।
खाता खुलवा कर इन लोगों ने राघवेन्द्र को बेचा था
शंशाक पांडेय उर्फ गोलू पांडेय ने नेपाल व दिल्ली के व्यक्तियों को पैसे देकर उनका विभिन्न बैंको में खाता खुलवाकर उनका एटीएम कार्ड चेकबुक,नेट बैंकिग का आईडी पासवर्ड आदि लेकर राघवेन्द्र मिश्रा दिया था। इसके अलावा दीपेन्द्र थापा ने नेपाल व दिल्ली के व्यक्तियों को पैसे देकर नितेश सिंह, राहुल राना व सागर जायसवाल की मदद से उनका खाता खुलवाकर पैसे लेकर खाता राघवेन्द्र को बेच दिया था। सागर जायसवाल नेपाल व दिल्ली के व्यक्तियों को पैसे देकर उनका फर्जी आधार कार्ड व पैनकार्ड बनवाकर पैसे लेकर खाता खुलवाना था। राहुल राना भी बैंक खाता खुलवाता था। नेपाली व्यक्तियों को दीपेन्द्र थापा से मिलवाया और नितेश सिंह की मदद से बैंक खाता खुलवाया था।