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बरसात ना होने और निकल रही चटक धूप ने अन्नदाताओं की और बढाई मुसीबत

मौसम की बेरुखी से किसानों का बैठा जा रहा दिल
👉बरसात ना होने और निकल रही चटक धूप ने अन्नदाताओं की और बढाई मुसीबत।
👉धान की रोपाई पिछड़ी,फसलों को बचाने की जद्दोजहद् में हाथ पैर मार रहा किसान।
👉ज्यादातर नहरों से गायब है पानी, खराब हैं अधिकांश सरकारी नलकूप।
👉डीजल के बढ़े दामों से महंगी सिंचाई करने को मजबूर है किसान।
👉जब इतनी समस्याएं तो फिर आखिर आय दोगुना करने का कैसे सपना देखें अन्नदाता!
👉कृषि विभाग के अधिकारी भी तेज धूप व बरसात ना होने को फसलों के लिए नहीं मान रहे अच्छा। मौसम की बेरुखी और निकल रही चटक धूप ने किसानों की चिंता को बढ़ा दिया है।विलंबित हो रहे मानसून के चलते निजी संसाधनों से ही किसान खरीफ की फसलों का आच्छादन कर पा रहे हैं।खरीफ की प्रमुख फसल धान की रोपाई विलंबित है।अब तक 50 फ़ीसदी के आसपास ही धान की रोपाई की जा सकी है। अच्छी फसल के लिए 15 जुलाई तक धान की रोपाई का काम पूरा हो जाना चाहिए।कृषि विभाग के अधिकारी भी मानसून के विलंब होने और तेज धूप को खरीफ फसलों के लिए अच्छा नहीं मान रहे हैं। आधे से अधिक सरकारी नलकूप खराब हैं।नहरों में पानी नहीं है और जहां है भी वहां ना के बराबर है।जिसके चलते किसान धान की रोपाई नहीं कर पा रहे हैं।
फतेहपुर जनपद गंगा-यमुना के दोआबा में बसा जरूर है लेकिन यहां साल-दर-साल मौसम की बेरुखी ने किसानों की परेशानी को बढ़ाया है। समय से बरसात ना होने,जरूरत के मुताबिक पानी ना मिलने एवं सरकारी संसाधनों के दगा देने का ही नतीजा है कि खरीफ फसलों का आच्छादन प्रभावित है।सरकारी आंकड़ों में लक्ष्य तो पा लिया जाता है लेकिन किसान किस तरह से पानी के अभाव में अपनी फसलों को बचाने की जद्दोजहद् करता है वह किसी से छिपा नहीं है।जिले में 1लाख 49 हजार 5 सौ 59 हेक्टेयर भूमि पर खरीफ फसलों का आच्छादन किया जाना है।खरीफ की प्रमुख फसल धान का आच्छादन यहां 83090 हे.का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।इसमें 350 हेक्टेयर में धान सुगंधित,35000 हे.भूमि में शंकर धान तथा 47740 हे.में अन्य धान की फसलों की रोपाई का लक्ष्य निर्धारित है।इन्हें आच्छादित करने के लिए 5542 हे.भूमि पर धान की नर्सरी तैयार की गई है।
खरीफ की अन्य फसलों में मूंग 974हे.,मक्का 336हे.,ज्वार 11215हे.,बाजरा 7763हे.,उर्द 10080 हे.,तिल 13692हे.तथा अरहर 22409 हे.भूमि पर आच्छादित की जानी है।इस वर्ष मूंगफली का लक्ष्य निर्धारित नहीं किया गया है लेकिन *जिस तरह से मौसम ने दगा दिया है और बरसात भी विलंबित है उससे किसानों को ना केवल रोपाई में दिक्कतें सामने आ रही हैं बल्कि धान की रोपी गई फसलों को बचाने में भी परेशानी उठानी पड़ रही है।तेज धूप है,नेहरों से पानी गायब है।583 सरकारी नलकूपों में आधे से अधिक नलकूप विभिन्न कारणों से बंद चल रहे हैं।अंधाधुंध बिजली की हो रही कटौती ने भी किसानों की परेशानी को और बढ़ाया है।डीजल के बढ़े दामों के चलते महंगी सिंचाई करने को किसान मजबूर हैं।
जब यह हालात होंगे तो फिर अन्नदाता अपनी आय दोगुना करने का सपना देखे भी तो कैसे?कृषि विभाग के अधिकारी भी मानसून के विलंब से आने को फसलों के लिए अच्छा नहीं मान रहे हैं।जिला कृषि अधिकारी बृजेश कुमार सिंह का कहना है कि अच्छी फसल के लिए 15 जुलाई तक धान की रोपाई हर हाल में हो जानी चाहिए।जो आंकड़े हैं उनमें अभी रोपाई का कार्य पूरा नहीं हो सका है।मौसम अभी साथ नहीं दे रहा है।गर्म अधिक है जिसके चलते किसान धान की रोपाई के लिए पानी के लिए हाथ पैर मार रहा है।बढे तापमान से रोपे गए धान को बचाना भी उनके सामने बड़ी समस्या है।उम्मीद जताई है कि मौसम वैज्ञानिकों ने जो अलर्ट जारी किया है उसमें आगामी दिनों में बरसात होना है।अगर बरसात हुई तो धान की रोपाई का काम भी तेजी से आगे बढ़ेगा और फसल भी ठीक होगी।

ब्यूरो रिपोर्ट

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