देवरिया लार

लार पुलिस का कारनामा,टारगेट पूरा करने के लिए पत्रकार एवं संभ्रांत लोगों पर लगाया धारा 107,116

लार-देवरिया:- यूँ तो लार पुलिस अपने कारनामे के लिए जगजाहिर है।कभी शराब तस्करी,तो कभी गौ तस्करी,तो कभी लकड़ी एवं अन्य की तस्करी करवाने के लिए जिसके कारण अभी कुछ दिन पहले लगभग पूरी चौकी स्टाफ को ही सस्पेंड कर दिया गया है।वर्तमान समय में प्रत्येक गांवों से सूचना मिल रही है कि गांव के संभ्रान्त व्यक्ति,पत्रकार,गल्फ मजदूर,दिहाड़ी मजदूर, किसान और विद्यार्थियों को भी लार पुलिस अपना टारगेट पूरा करने के चक्कर में बिना तहकीकात के ही शांति भंग करने के आरोप में धारा 107,116 लगा दी है।गांव में जब पुलिस उनसे हस्ताक्षर करवाने पहुँची तो लोग हक्के बक्के हो गये।नाम डालने का कारण पूछने पर पहले तो पुलिस ने बताया कि यह एक पुलिस की सामान्य प्रक्रिया है लेकिन जब ग्रामीणों ने हस्ताक्षर करने से मना किया तो कहा कि ये पुलिस का विशेषाधिकार है की वो जिस पर चाहे बिना किसी वजह ये धारा लागू कर सकती है।वही जिन व्यक्तियों का नाम पहले से थाने की गुडविल रजिस्टर में संभ्रांत लोगों में दर्ज है उन पर ये धारा कैसे लागू हुई के सवाल पर पुलिस कुछ जबाब नहीं दे सकीं।जबकि क्षेत्र के सभी गांवों में अभी भी धारा 302 और 307 के मुल्जिम खुला घूम रहे हैं।लार थाना क्षेत्र के डुमरी,खरवनियां,पिंडी,आदर्शनगर,कौसड़ खेमादेई इत्यादि सभी गांवों की यहीं दशा है जहाँ पुलिस ने या तो व्यक्तिगत विद्वेष के कारण या कुछ व्यक्ति विशेष के कहने पर अपना टारगेट पूरा करने के लिए सिधे सादे लोंगों को शांति भंग के लपेटे में ले लिया है।इसी बात पर अपनी मानहानि और बेईज्जती को देखते हुए कौसड़ ग्राम सभा के अभिमन्यु सिंह,प्रसेन जीत सिंह,चंद्रभूषण सिंह,उदयमणि प़ाडेय,बबलू यादव,नंदन यादव,हरेंन्द्र प्रसाद,राजन यादव,रामनारायण यादव,अमरेश सिंह,जय विजय सिंह,प्रेम प्रकाश सिंह इत्यादि ने पुलिस अधीक्षक देवरिया को पत्र लिखकर इसकी उच्च अधिकारियों से जाँच करवाकर निर्दोष और संभ्रांत व्यक्तियो को शांति भंग की धारा में षड़यंत के जिम्मेदार लार पुलिस पर उचित कारवाई की मांग की है और साथ ही ऐसे लोंगों पर से इस धारा को हटाने की भी मांग की है।

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