फतेहपुर

भारतवर्ष की सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक चेतना के आधार हैं प्रभु श्रीराम- प्रो.हरिराम मिश्र

फतेहपुर -छिवलहा कस्बा स्थित सदानन्द महाविद्यालय के प्रोफेसरों ने भी 48 वें राष्ट्रीय रामायण मेला में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।48वे राष्ट्रीय रामायण मेला के पूर्णता सत्र के अवसर पर देश के विभिन्न क्षेत्रों से विद्वानों ने आकर के राम कथा के विषय को जनमानस के सामने रखा। मुख्य अतिथि के रूप में चित्रकूट धाम मंडल के डीआईजी के सत्यनारायण ने कहा कि मैं प्रभु श्री राम को राष्ट्रीय एकता के रूप में देखता हूं। प्रभु भारत की धरती के कण-कण में व्याप्त हैं। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रो. बिंध्येश्वरी प्रसाद मिश्र ने सारस्वत अतिथि के रूप में प्रभु श्री राम के चरित्र के विषय में प्रकाश डाला। रामायण मेला के इस सत्र की अध्यक्षता जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग के प्रो. हरिराम मिश्र ने की। प्रोफेसर मिश्रा का चित्रकूट धाम मंडल के डीआईजी एवं रामायण मेला के अध्यक्ष राजेश करवरिया जी के द्वारा माल्यार्पण एवं श्रीफल के द्वारा भव्य सम्मान किया गया।
प्रोफ़ेसर मिश्र ने प्रभु श्री राम के आदर्शों की चर्चा करते हुए जनमानस को बताया कि श्रीराम भारत की राष्ट्रीय एकता के सूत्रधार हैं । उन्होंने जाति-पाति भेदभाव के बंधनों को तोड़कर एक आदर्श राष्ट्र के निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। प्रभु श्रीराम के बताए हुए रास्ते पर मर्यादित होकर चलने के लिए देशवासियों से आह्वान किया। राम घट-घट में बसते हैं, वह हमारी सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक चेतना के आधार हैं। उन्होंने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा की भारतवर्ष विश्व गुरु है उसके पीछे प्रभु श्रीराम जैसे अनेक मर्यादा के पथ पर चलने वाले महापुरुषों का योगदान रहा है। जिसके कारण भारत इस दुनिया में आज भी अपना परचम लहरा रहा है । उन्होंने महर्षि वाल्मीकि रामायण की चर्चा करते हुए बताया की राम का चरित्र इतना उदात्त है जिसकी चर्चा भारत के निरक्षर व्यक्तियों के द्वारा भी की जाती है। उन्होंने निषादराज गुह, जटायु एवं शबरी, सुग्रीव, हनुमान् जी इत्यादि प्रसंगों की चर्चा करते हुए बताया कि प्रभु श्री राम ने समाज के हर वर्ग को अपने साथ लेकर के चलने का कार्य किया। श्री राम एक विराट पुरुष है जो कि हमारे राष्ट्र के जनमानस को आध्यात्मिक संस्कृति राजनैतिक शक्तियों से ओत-प्रोत करते हैं। उन्होंने कहा हमें हर्ष हो रहा है कि हमारी खोई हुई विरासत, जिसका कि इस देश के वामपंथियों एवं तथाकथित राजनीतिज्ञों के द्वारा प्रभु राम के अस्तित्व पर ही प्रश्नचिन्ह खड़े किए गए। आज मुझे खुशी हो रही है कि प्रभु श्री राम के भव्य मंदिर का निर्माण होगा । जो कि हमारे राष्ट्र एवं देशवासियों की आध्यात्मिक संस्कृति चेतना को जागृत करते हुए, अपने गौरवशाली इतिहास को याद रखने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा, कहा गया है- जिसको न निज गौरव निज देश का अभिमान है। वह नर नहीं पशु निरा और मृतक के समान है।। इतनी गौरवशाली परंपरा को हम लोग याद रखते हुए प्रभु श्रीराम के बताए हुए रास्ते पर मर्यादित होकर चलने का प्रयास करेंगे तभी प्रभु श्री राम का यथार्थ रूप से वन्दन कर पाएंगे। कार्यक्रम में राष्ट्रीय रामायण मेला के महामंत्री करुणा शंकर द्विवेदी बुंदेलखंड के विद्यापति पी.के.दीक्षित अनेक राष्ट्रीय कथावाचक एवं विभिन्न विश्वविद्यालयों महाविद्यालयों के प्राध्यापक तथा हजारों श्रोता मौजूद रहे।

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