जनपद बांदा।
जनपद में लगभग सभी गांव में झोलाछाप डॉक्टर बैठे हुए मिलेंगे, जो की बिना किसी रजिस्ट्रेशन के बिना किसी डिग्री के लोगों का इलाज कर रहे हैं। लेकिन इस पर स्वास्थ्य विभाग की नजर नहीं जा रही है।
हम बात करेंगे आज ग्राम पंचायत पचनेही की जहां पर कई झोलाछाप डॉक्टर दवाई सब्जी की तरह बेचने के लिए रखे हुए हैं। कोई ग्राहक पहुंचा तो आलू टमाटर की तरह दवाई उठा कर दे देते हैं। अब आप सोचिए कि बिना डिग्री के बने सर्जन, लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं। इन पर आखिर जिला प्रशासन एवं स्वास्थ्य विभाग की नजर क्यों नहीं जा रही है।
आपको बता दें पूरा मामला जनपद बांदा के बड़ोखर ब्लाक अंतर्गत पचनेही ग्राम पंचायत का है। जहां पर आयुष्मान भारत के अंतर्गत आरोग्य केंद्र तो बना हुआ है। लेकिन उसमें किसी को दवाएं नहीं दी जाती है। ग्रामीणों के मुताबिक कहीं महीने 15 दिन में 1 दिन के लिए खुलता है। बाकी हमेशा बंद रहता है।
इसके अलावा बात करें मातृ शिशु परिवार कल्याण उपकेंद्र की जिसमें हमेशा ताला लटकता मिलता है। कभी भी कोई आशा बहू या एएनएम जो भी नियुक्त है। एवं अन्य कर्मचारी कहीं कोई नहीं जाता और ना ही किसी तरह की है इससे ग्रामीणों को लाभ मिल पा रहा है।
प्रदेश सरकार के द्वारा लाखों करोड़ों रुपए गावों के विकास के लिए खर्चा किया जाता है। कि ग्रामीण स्तर में लोगों को हर तरह की सुविधाएं मिल सकें लेकिन लापरवाह अधिकारियों के चलते गांव में कोई भी सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं।
वहीं इसी का फायदा उठाकर ग्रामीण स्तर में बैठे झोलाछाप डॉक्टर मौज कर रहे हैं। मनमानी तरीके से ग्रामीणों से पैसे भी लूटते हैं। एवं इलाज की कोई गारंटी भी नहीं क्योंकि उनके पास ना ही कोई डिग्री है ना ही किसी तरह का रजिस्ट्रेशन है।
गांव के एक झोलाछाप डॉक्टर से बात की गई तो उसने साफ कहा कि हमारे पास कोई रजिस्ट्रेशन नहीं है। लेकिन हम इलाज करते हैं। वहीं दूसरी तरफ दूसरे डॉक्टर ने कहा कि सभी लोग करते हैं। इसलिए हम लोग भी करते हैं। अब ऐसी दशा में अगर कोई बड़ा हादसा होता है। तो जिम्मेदार कौन होगा। स्वास्थ्य विभाग क्यों नहीं इन पर ध्यान दे रहा है। क्या किसी बड़ी घटना का इंतजार कर रहा है स्वास्थ्य विभाग, या तो जो भी ग्रामीण इलाकों में जो झोला छाप डाक्टर बैठे है। उन्हे प्रसिच्छत किया जाए।
CRIME 24 HOURS संवाददाता प्रशांत त्रिपाठी