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भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहा ग्राम पंचायत पचनेही का विकास, अन्ना घूम रहे गोवंश

 

जनपद बांदा।

कभी नहीं खुलता ग्राम पंचायत पचनेही का मिनी सचिवालय, सार्वजनिक शौचालय में रहता है ताला बंद

उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा लगातार ग्रामीण स्तर का विकास करने के लिए प्रयास किया जा हैं। लेकिन ग्राम पंचायतों की दशा सुधारने का नाम नहीं ले रही है। ज्यादातर ग्राम पंचायतों में गंदगी का अंबार लगा हुआ है। नालियों की कोई साफ सफाई की व्यवस्था नहीं कराई जा रही है। गोवंश अन्ना घूम रहे हैं। उनकी कोई व्यवस्था नहीं कराई जा रही है। केवल जनता के धन को बंदरबांट करके अपना पेट भरने का काम किया जा रहा है।
आपको बता दें पूरा मामला बांदा जनपद के बड़ोखर ब्लाक अंतर्गत पचनेही ग्राम पंचायत का है। जहां पर मिनी सचिवालय बने कई वर्ष हो गए लेकिन जब से मिनी सचिवालय बना तब से आज तक नहीं खोला गया है। इसके साथ सार्वजनिक शौचालय भी बनाया गया है। जिसको बने लगभग 2 वर्ष हो गए, लेकिन कभी ताला नहीं खुलता है। लेकिन शौचालय के नाम पर पैसा जरूर निकाला जाता है। किसी तरह की ग्रामीणों को सुविधाएं नहीं मिल पा रही है। ग्रामीण स्तर के विकास के लिए जो पैसा आता है। उसका बंदरबांट जरूर किया जाता है। ग्राम पंचायत में नालियों की दशा जर्जर है। चारों तरफ गंदगी का अंबार है। कहीं कोई साफ सफाई नहीं कराई जा रही है। ग्रामीणों का आरोप है की सचिव साहिबा ग्राम पंचायत में बहुत ही कम आती हैं। ग्राम पंचायत में किसी तरह का विकास कार्य नहीं कराया जा रहा है। अन्ना गोवंश जगह-जगह घूम रहे हैं और किसानों की फसलें बर्बाद कर रहे हैं लेकिन इस पर किसी की नजर नहीं जा रही है।
जिलाधिकारी अनुराग पटेल ने सभी ग्राम पंचायत अधिकारियों ग्राम विकास अधिकारियों खंड विकास अधिकारियों सहित संबंधित प्रधानों को आदेस दिया गया था की जितने भी अन्ना गोवंश हैं। सभी को गौशाला में रखा जाए लेकिन, जिलाधिकारी के आदेश के बावजूद भी गोवंश को गौशालाओं में नहीं रखा जा रहा है। किसान अपनी फसल बचाने के लिए परेशान है लेकिन किसान की आखिर परवाह कौन करता है। विकासखंड बड़ोखर एडीओ पंचायत से बात की गई तो उन्होंने कहा कि मामले की जांच करा कर के उचित कार्यवाही की जाएगी वहीं उन्होंने कहा सभी ग्राम पंचायत प्रधानों एवं सचिवों को अन्ना गोवंश को गौशाला में रखने के लिए आदेश दिए गए हैं। अगर किसी भी ग्राम पंचायत में लापरवाही की जा रही है तो जांच करा कर कार्यवाही करने का काम किया जाएगा। साथ ही मिनी सचिवालय को ना खुलने एवं शौचालय को जनता के लिए ना खोलें के बारे में उन्होंने कहा की सचिवालय कहीं दूसरी जगह समुदायिक भवन में संचालित किया जा रहा है। तो अब सवाल यह उठता है कि जब सचिवालय बना हुआ है उसके अंदर सार्वजनिक शौचालय भी बना हुआ है सचिवालय के मेन गेट पर ताला बंद रहता है तो लोग सार्वजनिक शौचालय को कैसे यूज़ कर पाएंगे। ग्रामीणों का भी आरोप है कि सार्वजनिक शौचालय जब से बना तब से आज तक नहीं खुला है। तो आखिर इस पर जिला प्रशासन कब संज्ञान लेगा एवं दोषी प्रधानों एवं सचिव के विरुद्ध क्या कार्यवाही करेगा।

Crime 24 Hours संवाददाता प्रशांत त्रिपाठी

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