देवरिया लार

आप सभी की दुआओं के बदौलत कोरोना से जंग में मिली जीत-एन डी देहाती

देवरिया, लार,

आज वरिष्ठ पत्रकार एन डी देहाती जी से मुलाकात कर उनका कुशलक्षेम जाना। इस समय वे बिल्कुल स्वस्थ हैं।
लेकिन फ़िलहाल डॉक्टर के सलाह के मुताबिक आराम कर रहे हैं। जल्द ही हम लोगों के साथ क्षेत्र में नज़र आएंगे।

ज्ञात हो कि पंचायत चुनाव में खबर कवर के दौरान कोरोना ने उन्हें बुरी तरह जकड़ लिया था।
उन्होंने बताया कि मुझे इसका तनिक भी एहसास नहीं हुआ क्योंकि न सर्दी, न जुकाम, न खांसी, न बुखार। एहसास उस वक़्त हुआ जब अचानक एक दिन भोजन करने बैठा तो एक निवाला हलक के नीचे नहीं उतरा। अंदर बुखार महसूस हुआ। खांसी शुरू हो गयी।
एक्सरे की रिपोर्ट में पता चला कि फेफड़े 68 फीसद ख़राब हो चुके थे। दम फूल रहा था। आक्सीजन की जरूरत महसूस होने लगी। 31 मई को लार अस्पताल गया वहां आक्सीजन चढ़ने लगा।
उन्होंने बताया कि मुझे यह दूसरा जीवन ईश्वर की असीम कृपा और आप सभी की दुआओं की बदौलत मिला है।

एक दिन ऐसा हुआ कि लार अस्पताल से रेफर करने की तैयारी चल रही थी। अस्पताल जाने से मुझे घबराहट सी होती थी क्योंकि हमने राज्य पुरस्कार प्राप्त शिक्षक आफाक अहमद रामनगर, शिक्षक संजीव पाठक पिंडी सहित दर्जनों परिचितों को देवरिया से गोरखपुर मेडिकल में कोविड से दुर्गति पूर्ण मौत देखी थी, और मेरे गॉव के भी कुछ लोग जो हॉस्पिटल तो गए लेकिन उनकी लाशें ही आईं।
हमने साफ साफ कह दिया कि मर जाऊंगा, लेकिन अस्पताल नहीं जाऊंगा। अस्पतालों में दवा हो सकती है, बेहतर इंतजाम नहीं हो सकता।
स्वजनों ने देवरिया, गोरखपुर, मैरवा आदि जगहों से हर आवश्यक उपकरण, दवा, इंजेक्शन लाना शुरू किया। सबसे आवश्यक था आक्सीजन। लार, सलेमपुर, देवरिया कहीं नहीं मिला। बिहार के मैरवा में मिला। रोज आने लगा। घर पर ही आक्सीजन चढ़ने लगा।
मेरी देखभाल में सभी स्वजन एक पैर पर खड़े थे। मीडिया के साथी और सामाजिक मित्र, हर पल दुआ कर रहे थे। कोरोना जांच हुआ, रिपोर्ट तो निगेटिव थी लेकिन कोरोना ने जो अंदरूनी घाव दिए थे उससे दम फूल रहा था। सांसें इतनी उखड़ती थीं कि लगता था अब प्राण निकल जाएंगे। इस बीच एक दिन अचानक घर पर ही तबियत बेहद खराब हो गयी। उस समय मेरा बड़ा बेटा योगेश आक्सीजन चढ़ाते हुए कार से लेकर अपनी मम्मी के साथ गोरखपुर में डॉ शशिकान्त दीक्षित के यहाँ पहुंचा। जीवन में पहली बार हम आईसीयू में भर्ती हो गए। कुछ दिन अस्पताल में रहने के बाद डॉक्टर ने दो माह का कम्प्लीट बेड रेस्ट करने को कह कर डिस्चार्ज कर दिया। फिलहाल बेड पर ही हूँ, स्थिति निरन्तर सुधर रही है। इस प्रकार हमने कोरोना को पराजित किया।

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