लार। जमीनी कार्यकर्ताओं को टिकट न देकर मनमानी करना भाजपा के जिला इकाई और मंडल इकाई को भारी पड़ा। लार के तीनों जिला पंचायत सदस्य क्षेत्र से भाजपा का सूपड़ा साफ हो गया। टिकट बंटवारे से उपजा अंतर्कलह अंत तक जारी रहा। बागियों ने पार्टी प्रत्याशियों को धूल चटवाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ा।
जिला पंचायत सदस्य वार्ड नम्बर (35) लार पूर्वी से भाजपा के कद्दावर नेता और अध्यक्ष पद की दावेदारी करने वाले पुनीत शाही चुनाव हार गए। इस सीट पर विमलेश उर्फ जनक कुशवाहा विजयी हुए। वार्ड नम्बर (36) लार पश्चिमी से भाजपा नेता अभय सिंह की पत्नी अमृता सिंह चुनाव हार गईं। निर्दल प्रत्याशी रिची सिंह पत्नी अनिल कुमार सिंह चुनाव जीत गए । वार्ड नम्बर (37) लार दक्षिणी से भाजपा प्रत्याशी वंदना पांडेय चुनाव हार गईं। सपा प्रत्याशी सोभा देवी पत्नी राजित यादव विजयी घोषित हुए। कुल मिलाकर जिला पंचायत में भाजपा की करारी हार हुई है। भागलपुर ब्लाक क्षेत्र में जिला पंचायत सदस्य की सीटों पर हुए चुनाव में भाजपा का सूपड़ा साफ हो गया और यहां के दो सीटों पर निर्दल उम्मीदवारों ने शानदार प्रदर्शन कर जीत का परचम लहराया है । भागलपुर दक्षिणी आंशिक लार – अरविंद पाण्डेय – निर्दल अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी पूर्व जिला पंचायत सदस्य प्रतिनिधि जगत जायसवाल को 1935 मतों से पराजित किये। भाजपा की मधु मिश्रा काफी पीछे रह गईं। भागलपुर मध्य से कुसुम देवी पत्नी अरविंद प्रसाद निर्दल ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी अंजू देवी को 8 हजार मतों से शिकस्त देकर ऐतिहासिक जीत दर्ज किया है । यहाँ भी भाजपा हार गई। सलेमपुर के सांसद रविंद्र कुशवाहा के पीए अशोक कुशवाहा ने सरकड़ा गाव से प्रधान पद पर अपनी पत्नी गीता कुशवाहा को मैदान में उतार कर पूरा दम लगा दिए थे लेकिन प्रधानी में वे दूसरा स्थान भी नहीं हासिल कर सकीं।
सलेमपुर से भाजपा विधायक काली प्रसाद की पत्नी और भतीजा बीडीसी का चुनाव हार गए। पत्नी भागलपुर के इसारु और भतीजा धरमेर से दावेदार थे। माना जा रहा है कि भागलपुर की आरक्षित सीट पर घर के किसी सदस्य को चुनाव लड़ाने के लिए विधायक ने दोनों को मैदान में उतारा था। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में अबकीबार भागलपुर ब्लाक प्रमुख की सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। सलेमपुर के भाजपा विधायक काली प्रसाद का गांव इसी ब्लाक क्षेत्र के जिरासो ग्राम पंचायत में है। माना जा रहा है कि वह ब्लॉक प्रमुख की सीट पर अपने परिवार के सदस्य को बैठाने का सपना संजोए हुए थे। उन्होंने अपनी पत्नी स्वर्णलता देवी को इसारु और भतीजे हेमंत कुमार को धरमेर से बीडीसी का चुनाव लड़ाया था। दोनों सीटों पर पराजय का मुंह देखना पड़ा।