सम्भल-सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता समिति भारत द्वारा ज्ञान की देवी मां सरस्वती की जयंती और बसंत पंचमी का पर्व बड़े उत्साह उमंग और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं सरस्वती वंदना के साथ राष्ट्रीय अध्यक्ष हरद्वारी लाल गौतम, राष्ट्रीय महासचिव कुसुम, राष्ट्रीय सचिव चिंकी दिवाकर राष्ट्रीय सचिव उपासना शर्मा, राष्ट्रीय परीक्षा सचिव रूबी , रजनी कान्ता चौहान, सागर सिंह, प्रदीप कुमार गुप्ता, अंशु चौहान, साधना सरगम व तेजस्वी ने संयुक्त रूप से किया।
इस अवसर पर समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष हरद्वारी लाल गौतम ने बसंत पंचमी पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि भारतीय बसंत पंचमी के पर्व से ही बसंत ऋतु का आगमन होता है। बसंत पंचमी या श्री पंचमी हिन्दू त्यौहार है। इस दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। यह पूजा पूर्वी भारत, पश्चिमोत्तर बांग्लादेश, नेपाल और कई राष्ट्रों में बड़े उल्लास से मनायी जाती है। इस दिन पीले वस्त्र धारण करते हैं। शास्त्रों में बसंत पंचमी को ऋषि पंचमी से उल्लेखित किया गया है, तो पुराणों-शास्त्रों तथा अनेक काव्यग्रंथों में भी अलग-अलग ढंग से इसका चित्रण मिलता है। जबकि राष्ट्रीय महासचिव कुसुम ने बताया कि वसन्त पंचमी माघ महीने की शुक्ल पंचमी को बसन्त पंचमी के नाम से जाना जाता है। बसंत की शुरुआत इस दिन से होती है। इसको बुद्धि, ज्ञान और कला की देवी सरस्वती की पूजा-आराधना के दिन के रूप में मनाया जाता है। मौसमी फूलों और फलों और चंदन से सरस्वती पूजा की जाती है। सरस्वती को अच्छे व्यवहार, बुद्धिमत्ता, आकर्षक व्यक्तित्व, संगीत का प्रतीक भी माना जाता है। राष्ट्रीय परीक्षा सचिव रूबी ने बताया कि धार्मिक ब्राह्मण ग्रंथों के अनुसार वाग्देवी सरस्वती ब्रह्मस्वरूप, कामधेनु तथा समस्त देवों की प्रतिनिधि हैं। बसंत ऋतु को ऋतुओं का राजा अर्थात सर्वश्रेष्ठ ऋतु माना जाता है। राष्ट्रीय सचिव चिंकी ने कहा कि जब कड़ाके की सर्दी कम होने लगती है और फूल खिलने लगते हैं, तभी आता है बसंत पंचमी का खुशनुमा पर्व। जबकि राष्ट्रीय सचिव उपासना शर्मा ने कहा कि बसंत ऋतु के आगमन का संकेत है कि हल्दी पीली धूप, हवा में बहती सुगंध, और पक्षियों का कलरव मानो प्रकृति अपनी रंगीन पेंटिंग बना रही हो। राष्ट्रीय प्रबन्धक रजनी कान्ता चौहान ने बताया कि बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती, विद्या और कला की देवी की पूजा होती है। विद्यार्थी पीले वस्त्र धारण करके पुस्तकों और वीणा को पूजते हैं, ज्ञान प्राप्ति की कामना करते हैं। पतंग उड़ाना, रंगोली बनाना, पीले रंग का भोजन बनाना – ये सब उत्सव के रंग को और बढ़ा देते हैं। बसंत पंचमी हमें प्रकृति से जुड़ने और ज्ञान की अहमियत समझने का मौका देती है।
इस अवसर पर सागर सिंह, प्रदीप कुमार गुप्ता, तेजस्वी, अंशु चौहान, साधना सरगम ने भी बसंत पंचमी के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला।
कार्यक्रम की अध्यक्षता हरद्वारी लाल गौतम ने तथा संचालन कुसुम ने किया।