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आई.पी.एम अपनाकर निर्यात हेतु गुणवत्तायुक्त कृषि उत्पाद प्राप्त करें किसान- डॉ. जी.पी. सिंह, दो दिवसीय आई.पी.एम. प्रशिक्षण कार्यक्रम का हुआ शुभारंभ

 

बांदा 27 फरवरी 2023

आई.पी.एम. अपनाकर किसान प्राप्त करें दोगुनी आय – डा. एस के सिंह, कुलसचिव
केन्द्रीय कीटनाशी बोर्ड एवं पंजीकरण समिति द्वारा संस्तुत रासायनिक कीटनाशक ही प्रयोग में लायें किसान- डॉ. जी. एस. पंवार, अधिष्ठाता, कृषि महाविद्यालय

प्रभारी एवं उप निदेशक, आर.सी.आई.पी.एम.सी. लखनऊ डॉ. जी.पी. सिंह ने इस प्रशिक्षण कार्यक्रम मे कहा कि इंटीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट (आई.पी.एम.) से कम लागत में निर्यात हेतु गुणवत्तायुक्त कृषि उत्पाद प्राप्त कर किसान अपनी आय बढा सकता हैै। डा0 सिंह ने कहा कि आइ0पी0एम0 समय की मांग है। कृषक उत्पाद एवं पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने के लिये आई0पी0एम0 का उपयोग अवश्य करें। विश्वविद्यालय के कुलसचिव व विभागाध्यक्ष कीट विज्ञान विभाग डा0 एस0के0 सिंह ने उपस्थित प्रशिक्षणार्थियो से कहा कि किसान समन्वित कीट प्रबंधन अपना कर अपनी आय को दोगूनी कर सकता है।
भारत सरकार, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, वनस्पति संरक्षण, संगरोध एवं संग्रह निदेशालय के लखनऊ स्थित क्षेत्रीय केन्द्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन केंद्र द्वारा दो दिवसीय आई. पी. एम. ओरिएंटेशन एच. आर. डी. प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ कीट विज्ञान विभाग, बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, बांदा में हुआ। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि कुलसचिव, बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, बांदा, अधिष्ठाता, कृषि महाविद्यालय, निदेशक प्रशासन, बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्याल, बांदा एवं उप निदेशक डॉ. ज्ञान प्रकाश सिंह ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया रीजनल सेंट्रल आई.पी.एम. सेंटर के प्रभारी डॉ. ज्ञान प्रकाश सिंह ने आई.पी.एम. पर दो दिवसीय प्रशिक्षण प्राप्त करने हेतु आए हुए जनपद के कृषकों को एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन की वर्तमान प्रासंगिकता तथा प्रशिक्षण कार्यक्रम की उपादेयता के बारे में बताया प् डॉ. सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि किसानों द्वारा फसलों को कीट एवं बीमारियों से बचाने के लिए रासायनिक कीटनाशकों का अनुचित एवं अंधाधुंध उपयोग किया जा रहा है। रासायनिक कीटनाशकों का अनुचित प्रयोग हर किसी के स्वास्थ्य के साथ-साथ पर्यावरण के लिए बेहद नुकसानदेह है प् उन्होने कहा कि आई.पी.एम. अपनाकर उत्पादन किये गए कृषि उत्पादों में रासायनिक कीटनाशक के अवशेष नहीं पाए जाते हैं परिणामस्वरूप कृषि उत्पादों के निर्यात में सहायता मिलती है। कार्यक्रम में उपस्थित बतौर मुख्य अतिथि डा. एस. के. सिंह, कुलसचिव, बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, बांदा ने जनपद भर से आये हुए किसानों से कहा कि आई.पी.एम. को बढ़ावा दें परिणामस्वरूप कम लागत के साथ गुणवत्तायुक्त कृषि उत्पाद प्राप्त करें। उन्होंने यह भी कहा कि बगैर रसायन के उत्पादित कृषि उत्पादों का राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में अधिक मूल्य प्राप्त होता है। जिसके फलस्वरूप किसानों की आय दोगुनी होगी। उन्होंने कहा कि इंटीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट (आई.पी.एम.) ही एकमात्र विकल्प है जो रासायनिक कीटनाशकों के अनुचित उपयोग को कम कर सकता है प् कार्यक्रम में बतौर विशिष्ट अतिथि डा. जी. एस. पंवार, अधिष्ठाता, कृषि महाविद्यालय ने कृषकों से कहा कि आई.पी.एम. की उपयोगिता को देखते हुए यह कहा जा सकता है किसान जैविक कीटनाशकों के प्रयोग पर जोर दें और यदि जरूरत पड़े तो केन्द्रीय कीटनाशी बोर्ड एवं पंजीकरण समिति द्वारा संस्तुत रासायनिक कीटनाशक ही अंतिम विकल्प के तौर पर उपयोग में लाएं। डा. बी. के. सिंह, निदेशक प्रशासन ने जनपद के कृषकों को संबोधित करते हुए कहा कि पौध संरक्षण के लिए आई.पी.एम. को बढ़ावा दें परिणामस्वरूप कम लागत के साथ पर्यावरण अनुकूल कृषि उत्पाद प्राप्त करें तथा कृषि उत्पाद रसायनमुक्त होने के नाते उसका बाजार में मांग अधिक होती है तथा मूल्य भी अधिक प्राप्त होता है। डा. ए.के. सिंह, विभागाध्यक्ष (पौध संरक्षण) ने किसानों को आई. पी एम. के अंतर्गत जैविक नियन्त्रण के बारे में बताते हुए किसानों को मित्र कीटों एवं शत्रु कीटों के बारे में बताया। आरसीआईपीएमसी लखनऊ द्वारा आई. पी. एम. आधारित लगाई गई प्रदर्शनी को विशेषज्ञों द्वारा भ्रमण किया गया तथा मुख्य अतिथि ने अत्यंत सराहना की। किसानों को आई पी एम से संबंधित विभिन्न विषयों पर विस्तार से जानकारी प्रदान की गई तथा किसान प्रशिक्षण कार्यक्रम में बढ़ – चढ़कर भाग लिए।कार्यक्रम में डा. धर्मेंद्र कुमार, विभागाध्यक्ष (पौध रोग विज्ञान), डा. श्याम सिंह, अध्यक्ष एवं वरिष्ठ बैज्ञानिक, के वी के बांदा, सहायक निदेशक बिजेंद्र सिंह, शैलेश कुमार, अमित कुमार सिंह, पी पी ओ एवं अन्य अधिकारी उपस्थित रहे प् कार्यक्रम का सफल संचालन अमित सिंह, सहायक वनस्पति संरक्षण अधिकारी ने किया ।

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