आए दिन स्वास्थ्य व्यवस्था की हकीकत जानने के लिए वर्चुअल ऑनलाइन और बैठक के जरिये होती है मीटिंग
कौशांबी, विषैले जंतुओं के काटने के बाद मानव जीवन बचाने के लिए सरकारी अस्पतालों में व्यवस्थाएं उपलब्ध नहीं है और व्यवस्था उपलब्ध कराने के लिए स्वास्थ्य विभाग गंभीर भी नहीं है जिससे सर्प के काटने के बाद आए दिन तड़प तड़प कर गम्भीर मरीजो की जहर से मौत हो जाती है सरकारी अस्पताल पहुंचने के बाद एंटी कोबरा इंजेक्शन गंभीर रोगियों को नहीं मिल पाता है ग्रामीण क्षेत्रों के अस्पतालों में डॉक्टर ही मौजूद नहीं रहते हैं जिससे वहां आपातकालीन चिकित्सा सेवा पूरी तरह से बाधित है तो वहां पर इलाज के नाम पर एंटी कोबरा इंजेक्शन देने की बात तो बेमानी है जिला अस्पताल में भी एंटी कोबरा इंजेक्शन गंभीर रोगियों को नहीं मिल पाता है अनुपलब्धता के चलते गंभीर रोगियों की मौत हो जाती है आए दिन विषैले जंतु सर्प के काटने से लोगों की मौत हो रही है लेकिन उसके बाद भी लंबे चौड़े भाषण देने वाले जनप्रतिनिधि और उनके नुमाइंदे आम जनमानस की गंभीर समस्या पर गंभीर नहीं हैं आए दिन स्वास्थ्य व्यवस्था की मीटिंग कर जिला अधिकारी व्यवस्था की हकीकत देख रहे हैं लेकिन उसके बाद भी एंटी कोबरा इंजेक्शन की उपलब्धता के बारे में प्रयास नहीं हो सका है अब तो शासन स्तर से वीडियो कांफ्रेंसिंग और ऑनलाइन वर्चुअल मीटिंग होने लगे हैं लेकिन उसके बाद भी व्यवस्थाएं केवल मीटिंग तक सीमित रह गयी है ग्रामीण क्षेत्र के किसी भी अस्पताल में विषैले जंतु सर्प के काटने के बाद मरीज का इलाज नहीं हो पाता है यह स्वास्थ्य व्यवस्था की बड़ी खामियां हैं लेकिन इन खामियों को दूर करने का प्रयास नहीं हो रहा है लोगों ने सूबे की सरकार का ध्यान आकृष्ट कराते हुए पर्याप्त मात्रा में एंटी कोबरा इंजेक्शन उपलब्ध कराए जाने की मांग की है।