स्ट्रेचर के लिए भटकते हैं तीमारदार, मरीज़ को लाने-ले जाने के लिए स्वयं करते हैं मशक्कत
दो दर्जन से अधिक वार्ड बॉय नियुक्त, फिर भी सुविधाओं का लगा है टोटा
फतेहपुर। स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए प्रदेश की योगी सरकार जमीनी स्तर पर भारी-भरकम बजट खर्च कर जन सामान्य को स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने का दंभ तो भरती है, किंतु इन सुविधाओं का लाभ जन सामान्य को कितना मिलता है अगर इसकी बानगी देखनी है तो जिला अस्पताल पहुंच जाएं।जिला महिला एवं पुरुष अस्पताल में कहने को तो सारी सुविधाएं उपलब्ध है, किंतु जब कोई तीमारदार अपने मरीज को लेकर पहुंचता है तो उसे एक अदद स्ट्रेचर के लिए भी इधर-उधर भटकना पड़ता है। अगर खुदा ना खासता स्ट्रेचर मिल भी गया तो मरीज को डॉक्टर या वार्ड में भर्ती करने के लिए स्वयं मशक़्क़त करनी पड़ती है। स्ट्रेचर चलाने के कायदे एवं नियमों को ना जानने वाले लोगों से आए दिन गलतियां होती रहती है जिसका खामियाजा स्ट्रेचर पर लेटे मरीज को या स्टेचर निकालते वक्त आस-पास अथवा सामने खड़े लोगों को भुगतना पड़ता है। ऐसा नहीं है कि यहां पर वार्ड बॉय की कमी है या नियुक्ति कम है, वार्ड बॉय भी मानक के अनुसार यहां पर नियुक्त होना तो बताया जाता है, किंतु जब तीमारदार को ही अपने मरीज को स्ट्रेचर में लादकर लाना ले जाना पड़ता है तो बड़ा सवाल यह उठता है कि अस्पतालों में नियुक्त वार्ड बॉय किसलिए भर्ती किए गए हैं। इस संबंध में जब सीएमएस डॉक्टर आर एम गुप्ता से बातचीत की गई तो उनका कहना रहा कि उक्त प्रकरण उनके संज्ञान में नहीं है अगर ऐसा कोई मामला उनके संज्ञान में आता है तो जरूर कार्रवाई की जाएगी।
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