जनपद बांदा।
स्तनपान के दौरान बच्चे का सिर स्तन से ऊंचा या 45 डिग्री के कोण में रखना चाहिए, इसीलिए बैठकर स्तनपान कराना सबसेउचित होता है। लेटकर स्तनपान कराने से कान का इंफेक्शन हो सकता है। यह बातें विश्व स्तनपान सप्ताह के तहत अलीगंज स्थित आंगनबाड़ी केंद्र पर जिला कार्यक्रम अधिकारी राम प्रकाश ने कहीं। जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कि शिशु को दूध पिलाने के बाद तुरंत बिस्तर पर नहीं लिटाना चाहिए, क्योंकि ऐसी स्थिति में शिशु पिया गया दूध मुंह से निकाल सकता है। दूध पिलाने के बाद उसे कंधे पर लेकर पीठ पर धीरे-धीरे हाथ फेरें। इससे बच्चे के पेट में दूध का पाचन होता है। जन्म के तुरंत बाद बच्चे को कराया गया स्तनपान कई रोगों से लड़ने की क्षमता देता है। हर मां को अपने बच्चे को कम से कम छह माह तक केवल अपना ही दूध पिलाना चाहिए। शिशु की अच्छी सेहत के लिए सभी माताओं को बच्चों को अपने दूध का ही सेवन कराना चाहिए। सभी आशा कार्यकर्ता अपने क्षेत्र में गर्भवती को स्तनपान कराने के लिए प्रेरित कर रही हैं।
जिला महिला अस्पताल में तैनात बाल रोग विशेषज्ञ डा. एचएन सिंह का कहना हैकि बच्चे का जन्म होने के 24 घंटे बाद तक मां के दूध में कोलोस्ट्रम निकलता है। इसमें बहुत अधिक मात्र में एंटीबॉडीज होते हैं। जन्म के एक घंटे के भीतर नवजात को स्तनपान शुरू कराने से 20 फीसद शिशु मृत्यु दर में कमी लाई जा सकती है।
स्तनपान से मां को लाभ –
1- गर्भाशय का संकुचन हो जाता है जिससे आंवल आसानी से छूट जाती है।
2- प्रसव के बाद अधिक रक्तस्राव का खतरा कम हो जाता है।
3- स्तन कैंसर, गर्भाशय कैंसर और अंडाशय के कैंसर का खतरा कम हो जाता है।
4- हड्डियों के कमजोर पड़ने के प्रकरण कम हो जाते हैं।
5- परिवार नियोजन में कुछ हद तक सहयोग प्राप्त होता है।
Crime 24 Hours / ब्यूरो रिपोर्ट