जनपद बांदा।
सावन हरियाली महोत्सव के चौथे दिन बांदा के चिल्ला रोड स्थित भागवत प्रसाद मेमोरियल एकेडमी में चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमे कक्षा 1 से 12 तक की कक्षाओं के बच्चों ने अपने हांथों से चित्र बनाकर अपनी कला का प्रदर्शन किया स अन्य कलाओं के समान ही भारतीय चित्रकला का भी अपना एक महत्व है। गुफाओं से मिले अवशेषों और साहित्यिक स्रोतों के आधार पर यह स्पष्ट है कि भारत में एक कला के रूप में ‘चित्रकला’ बहुत प्राचीन काल से प्रचलित रही है। भारत में चित्रकला का इतिहास मध्यप्रदेश की भीमबेटका गुफाओं की प्रागैतिहासिक काल की चट्टानों पर बने पशुओं के रेखांकन और चित्रांकन के नमूनों से प्रारंभ होता है। बौद्ध धर्म ग्रंथ “विनयपिटक” में अनेकों शाही इमारतों पर चित्रित आकृतियों के अस्तित्व का भी वर्णन प्राप्त होता है। मध्यकालीन भारत में मुग़ल सत्ता में होने के कारण सल्तनत काल में भारतीय चित्रकला पर पश्चिमी और अरबी प्रभाव भी देखने को मिलता है हैं। भारत में पारसी लोगों के आगमन से भारत में पारसी चित्रकला का आगमन हुआ। पारसी और भारतीय-चित्रकला शैली के मिश्रण से एक सशक्त शैली विकसित हुई और इस प्रकार ‘मुगल चित्रकला’ शैली का विकास हुआ। आधुनिक युग में भी चित्रकला अपना महत्वपूर्ण स्थान रखती है स कला के इसी महत्त्व को समझते हुए , बच्चो के अन्दर छुपी हुई कला को बाहर लाने और उसे निखारने के उद्देश्य से ही भागवत प्रसाद मेमोरियल एकेडमी में चित्रकला प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। विद्यालय की प्राचार्या डा. (प्रो0) मोनिका मेहरोत्रा जी ने बच्चों को चित्रकला के उद्भव एवं विकास के बारे में बताया। उन्होंने बच्चो को बताया की यह सिर्फ कला नहीं है बल्कि यह एक अच्छे रोजगार का साधन भी बन सकता है, कला प्रमियों द्वारा चित्रकला को वैश्विक स्तर पर सराहा जाता है स बच्चों की कला की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि यह नन्हे-नन्हे बच्चे बहुमूल्य प्रतिभाओं के धनी हैं स यह ऐसे मणिरत्न है जो हमारे विद्यालय को विभूषित कर रहे हैं। विद्यालय की निर्देशिका श्रीमती संध्या कुशवाहा, नामित चेयरमैन अंकित कुशवाहा प्रबंधन समिति के सदस्य राम लखन कुशवाहा ने बच्चों की चित्रकला की प्रशंसा की एवं उन्हें आशीर्वाद दिया। कार्यक्रम में अजय सैनी एवं रचना श्रीवास्तव का विशेष योगदान रहा।
Crime 24 Hours से मितेश कुमार की रिपोर्ट