छिवलहा के प्रेरणा साथी ने पेश की अनोखी मिसाल, बच्चों को घर-घर जाकर दे रहे शिक्षा
खागा (फतेहपुर) छिवलहा के प्रेरणा साथी शिक्षक व शिक्षिकाओं ने शिक्षा क्षेत्र में एक अनोखी मिसाल पेश किया है। और लांक डाउन के समय चल रही आंनलाइन परीक्षा में जो बच्चे एंड्रॉयड सेट के अभाव में शिक्षा ग्रहण नहीं कर सके है उन्हें घर-घर जाकर शिक्षा देना शुरू कर दिया।
बताया जाता है कि लॉकडाउन में बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा दी जा रही थी, पर कमजोर वर्ग के बच्चे स्मार्टफोन के अभाव में शिक्षा ग्रहण नहीं कर सके। इस बात को लेकर छिवलहा प्रथम गांव के स्कूल की शिच्छा मित्र रेखा गुप्ता ने अपनी क्लास के बच्चों को घर-घर जाकर शिक्षा दे रही हैं। और खूब समझा बुझाकर कंठस्थ करवा रही है। और काेरोना ने लोगों की जिंदगी पर ही नहीं, बल्कि किताबों और कॉपियों पर भी लॉकडाउन लगा दिया है। अब बच्चे कंप्यूटर और मोबाइल स्क्रीन के सामने समय बिता रहे हैं। मगर सरकार स्कूल और ग्रामीण छिवलहा से आने वाले बच्चे क्या करें, उनके पास न तो बेहतर इंटरनेट है और न ही स्मार्टफोन की व्यवस्था है।तथाइस समस्या को किसी ने समझा हो या नहीं मगर छिवलहा प्रथम गांव के स्कूल की शिच्छा मित्र रेखा गुप्ता ने बखूबी समझा है। रेखा अपनी कक्षाओं के बच्चों को रोजाना नियमित रूप से उनके घर पढ़ाने जाती हैं। और छिवलहा के रहने वाले एक-एक बच्चे के घर जाकर पढ़ा रहे हैं। यह सिलसिला पूरे लॉकडाउन चला और अब अनलॉक में भी जारी है। सुबह होते ही वह अपने स्थित आवास से गाड़ी से जैसे पहले स्कूल के लिए निकलती थी आज भी वैसे ही स्कूल जाती हैं उपस्थिति लगाती हैं फिर बच्चों को उनके घर पढ़ाने निकल जाती हैं। उनका कहना है कि बच्चों को घर जाकर पढ़ाने से वह अच्छी तरह समझ पा रहे हैं और सकारात्मक परिणाम भी दे रहे हैं।
प्रेरणा साथी सौंदर्य गुप्ता ने बताया कि हम कितनी भी कोशिश कर लें बच्चों को तकनीकि का आदी नहीं बना सकते। उन्होंने पहले जो पढ़ाया अगर वह मोबाइल या न संसाधनों पर जारी रखते तो बच्चे नया तो कुछ सीखते नहीं बल्कि पुराना भी भूल जाते। इसलिए उन्हाेंने एक-एक बच्चे को पढ़ाने की जिम्मेदारी ली।वही प्रेरणा साथी अभिषेक गुप्ता ने बताया कि मैं एक दिन मे चार बच्चों के घर जाता हूं। फिर दूसरे दिन अन्य बच्चों के घर जाकर पढ़ाता हूं। पढ़ाने का समय सुबह 10 से 12 का रहता है। ऐसे में बच्चों के समय भी मिल रहा है तो वह अच्छे से पढ़ भी रहे हैं। इनमें से कुछ बच्चे ऐसे हैं जिनके परिजन कोरोना योद्धा के रूप में कार्य कर रहे हैं। अभिभावक होमवर्क तो करा सकते हैं मगर एक्टिविटी के लिए उन्हें शिक्षक की मदद लेनी ही होगी।वही प्रेरणा साथी धर्मेन्द्र ने कि उन्होंने 10 से अधिक एक्टिविटी बनाई हुई हैं जिनकी मदद से वह बच्चों को पढ़ाते हैं। इन एक्टिविटी में बच्चों का खेलना भी हो जाता है तो वह विभिन्न विषयों को सीख भी जाते हैं। उनकी पढ़ाने की पद्धति में गणित के सवाल कविताओं से हल किए जाते हैं तो खेल-खेल में अन्य विषयों को समेटा जाता है। खास बात है कि घर पर पढ़कर बच्चों में काफी खुशी है।
ब्यूरो रिपोर्ट