जिला संवाददाता
देवरिया।कहते हैं लेखपाल का बिगाड़ा कागज, डाक्टर की बिगाड़ी बीमारी और पट्टीदारी की रार जल्दी ठीक नहीं होती। सरकार बदलती है, सिस्टम नहीं सुधरता। एक किसान को कागजों में राजस्व विभाग की मिली भगत से मृत घोषित कर उसकी जमीन पट्टीदारों के नाम कर दी गयी। अब बेचारा किसान कचहरी के चक्कर लगाकर अपने को जीवित साबित करने की जंग लड़ रहा।
बात देवरिया जिले के रुद्रपुर तहसील के डाला गाव की कर रहा हूँ। यहाँ के 80 वर्ष के एक बुजुर्ग राम अवध की जमीन पट्टीदारों के नाम कर दी गयी है। लेखपाल, कानूनगो की मिलीभगत से उसे मृत घोषित कर दिया गया है। राजस्व विभाग के प क 11 में लेखपाल और कानूनगो ने पट्टीदारों से मोटी रकम लेकर रामअवध को मृत घोषित करने के बाद उसकी जमीन पट्टीदारों के नाम कर दी गयी। अब वह तीन साल से तहसीलदार के न्यायालय में जिंदा होने का मुकदमा लड़ रहा है। मुकदमे में तारीख पर तारीख पड़ रही है, पर फैसला नहीं हो पा रहा है।
रुद्रपुर तहसील के डाला गांव के रहने वाले राम अवध वर्षो पहले कामकाज के चक्कर में यूपी के ललितपुर जिले में गए। उन्होंने वहीं परिवार के साथ सैदपुर गांव में घर बसा लिया।उन्होंने ललितपुर जिले के सैदपुर गांव में कुछ प्रापर्टी भी बनाई। रामअवध इस दौरान वह अपने पैतृके गांव में आते जाते रहे। पट्टीदारों ने दस साल पहले धोखे से उनके हिस्से की जमीन पर उन्हें मृत घोषित कराकर अपने नाम दर्ज करा लिया।
अब तीन साल से उन्हें हर तारीख पर आधार कार्ड और अन्य कागजात लेकर अपने जिंदा होने का सबूत देना पड़ रहा है।
नियमतः इस मामले में पट्टीदारों व राजस्व विभाग के तत्कालीन कर्मचारियों पर जालसाजी का केस दर्ज कर जेल भेजा जाना चाहिए । पुलिस यदि स्वतः सज्ञान लेकर भी इस मामले के चाहे तो पीड़ित को न्याय मिल सकता है। राजस्व न्यायालयों की स्थिति जैसे पूर्ववर्ती सरकारों में थी वैसे ही इस सरकार में भी है। रुद्रपुर के तहसीलदार या एसडीएम यदि रुचि लें तब भी राम अवध का मामला सुलझ सकता है लेकिन हमारे यहाँ का सिस्टम ऐसा है कि न्याय के लिए जूते घिस जाते लेकिन तारीख पर तारीख की परंपरा नहीं बदलती।