गोरखपुर,
आम लोगों के टैक्स से नगर निगम के जिम्मेदार करोड़ों रुपये कीमत की गाड़ियां और मशीन खरीद लेते हैं, लेकिन रखरखाव को लेकर वह फिक्रमंद नहीं दिख रहे हैं। छात्रसंघ चौराहा पर वीसी बंगला और महेवा स्थित नगर निगम के स्टोर में दो करोड़ से अधिक कीमत की गाड़ियां कबाड़ हो रही हैं। इनमें तीन दशक पहले बीमार हाथी को उठाने के लिए खरीदी गई क्रेन के साथ ऑटोमेटिक स्वीपिंग मशीन भी शामिल है। गाड़ियों का ढांचा ही बचा है। टायर और बैटरियां गायब हैं।
निगम हर साल नागरिकों के सहूलियत के नाम पर करोड़ों रुपये कीमत की गाड़ियां खरीदता है। पिछले तीन वर्षों में मैजिक गाड़ी के साथ 20 कम्पैक्टर मशीनें खरीदी गई हैं। इनके रखरखाव को लेकर निगम कितना संजीदा है, यह स्टोर में कबाड़ पड़ी गाड़ियों को देखकर हो जाता है। रामगढ़झील के पास तीन दशक पहले का हाथी कांड सभी को याद है। एक हाथी बिगड़ गई थी। महावत उसे काबू में नहीं कर सका। इसके बाद हाथी घायल हो गया। जिसे उठाने के लिए नगर निगम ने क्रेन खरीदा था। उसके बाद क्रेन का कोई उपयोग ही नहीं हुआ।
अन्य की स्थिति
क्रेन कितने में खरीदी गई कोई बताने वाला नहीं है। इसी तरह 6 साल पहले निगम ने 20 लाख से अधिक कीमत में स्वीपिंग मशीन खरीदी थी। दावा था कि चंद मिनटों में पूरे गोलघर को साफ कर देगी। लेकिन डीजल की अत्यधिक खपत और तकनीकी खराबी नहीं दूर होने से गाड़ी खराब पड़ी हुई है। निगम द्वारा दो दशक पहले ही कूड़ा को ठोस में बदलने वाली कम्पैक्टर मशीन खरीदी गई थी, जो कबाड़ पड़ी हुई है।
बैटरी और टायर गायब
नगर निगम के दो स्टोर में 50 से अधिक गाड़ियां खड़ी हैं। इनमें से किसी में टायर गायब है, किसी में बैटरी। पिछले दिनों महापौर सीताराम जायसवाल और उपसभापति ऋषि मोहन वर्मा ने स्टोर का निरीक्षण किया तो हैरान रह गए। ऋषि मोहन कहते हैं कि जिम्मेदार खराब गाड़ियों को लेकर जवाब नहीं दे पा रहे हैं। ऐसी गाड़ियां खरीदी गईं जिसका स्थानीय स्तर पर मरम्मत होना मुश्किल है। स्टोर प्रभारी से गाड़ियों की सूची मांगी गई थी, लेकिन अभी तक मुहैया नहीं कराई जा सकी।
*आम लोगों के टैक्स की बर्बादी नहीं होने देंगे : महापौर*
महापौर सीताराम जायसवाल का कहना है कि करोड़ों कीमत की गाड़ियां छोटे-छोटे काम के आभाव में कबाड़ हो रही हैं। कई गाड़ियों में टायर, बैटरी और अन्य उपकरण गायब हैं। इन गाड़ियों का डिटेल प्रभारी से मांगा गया है। अधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि गाड़ियों के रखरखाव में लापरवाही नहीं होनी चाहिए।