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प्रेम की पराकाष्ठा है कृष्ण सुदामा की मित्रताः आचार्य शशिकांत,कथावाचक ने किया श्रीकृष्ण के विवाहों का वर्णन

 

ओरन/बांदा।

नगर के प्रसिद्ध तिलहर माता मंदिर परिसर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा अंतिम दिन कथावाचक आचार्य शशिकांत त्रिपाठी ने श्रोताओं को श्री कृष्ण के संपूर्ण 16108 विवाहों का सुंदर वर्णन किया। साथ ही सुदामा चरित्र कथा का वर्णन करते हुए बताया कि किस तरह से जगदीश्वर श्री कृष्ण ने अपने मित्र के लिए अपने संपूर्ण वैभव का त्याग कर दिया। आचार्य जी ने कहा कि भगवान के गुणों का अनुसरण कर हम संसार में अपने व्यक्तित्व को सुधार सकते हैं। उन्होंने कहा कि राजा परीक्षित का मोक्ष हुआ परंतु भगवान की कथा पूरी नहीं हुई, क्योंकि भगवान की कथा कभी पूरी नहीं हो सकती, इसका मात्र विश्राम होता है, क्योंकि गोस्वामी जी ने कहा है कि ष्हरि अनंत हरि कथा अनंताष्।इसके साथ ही कथा व्यास ने राजा पौंड्रक की कथा, कौशिक राज की कथा, तथा राजा नृग समेत अनेक कथाएं सुनाई। उन्होंने बताया कि प्रभु श्री कृष्ण जब 125 वर्ष की उम्र में अपनी लीला का सम्वर्ण करके परमधाम को जाने लगे तो उद्धव जी ने प्रश्न किया कि, प्रभु आपके भक्त आप के वियोग में अपने शरीर को कैसे धारण करेंगे ?
तो भगवान ने शरीर से एक दिव्य ज्योति प्रकट की और उसे श्रीमद्भागवत में समाहित कर दिया। इसलिए यह श्रीमद् भागवत कथा भगवान की साक्षात वांग्मयी मूर्ति है। 7 दिनों तक चलने वाला ज्ञान महायज्ञ है। भक्तों ने संपूर्ण कथा का रसास्वादन पूरी तन्मयता के साथ किया। कथा उपरांत हवन भंडारा आयोजन हुआ इसमें सैकड़ों लोगों ने प्रसाद चखा इस मौके पर कथा के मुख्य यजमान दरबारी लाल कुशवाहा,पं रामनरेश आचार्य,साकेत बिहारी, आशू शिवहरे, रामहित कुशवाहा, राम औतार, चुन्नू कुशवाहा सहित सैकड़ों भक्त गण मौजूद रहे।

Crime 24 Hours से मितेश कुमार की रिपोर्ट

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