21 दिन की समयसीमा में निःशुल्क पाए जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र- डीएम
देवरिया जिलाधिकारी अखंड प्रताप सिंह की अध्यक्षता में आज सीएमओ कार्यालय स्थित धनवन्तरि सभागार में जन्म-मृत्यु पंजीकरण की समीक्षा बैठक हुई। जिलाधिकारी ने कहा कि जन्म व मृत्यु का ससमय पंजीकरण नागरिकों का वैधानिक अधिकार है। जन्म-मृत्यु पंजीकरण प्रमाणपत्र जारी करने के लिए नगरीय क्षेत्र में अधिशासी अधिकारी, स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सा अधीक्षक एवं ग्राम पंचायतों में ग्राम पंचायत अधिकारी को रजिस्ट्रार के रूप में नामित किया गया है। सभी नामित रजिस्ट्रार सुनिश्चित करें कि जन्म मृत्यु पंजीकरण सही व प्रभावी तरीके से हो। जन्म-मृत्यु पंजीकरण में किसी भी तरह के अनियमितता अथवा लोगों को अनावश्यक भाग-दौड़ कराने की शिकायत मिली तो कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
जिलाधिकारी ने बताया कि 21 दिन के भीतर जन्म एवं मृत्यु का पंजीकरण कराना पूर्णतया निःशुल्क है। इसके लिए ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम विकास अधिकारी एवं नगरीय क्षेत्रों में ईओ को रजिस्ट्रार नामित किया गया है। सरकारी अस्पतालों में जन्म लेने वाले बच्चों का जन्म प्रमाणपत्र जारी करने के लिए सीएमएस एवं संबंधित सीएचसी के एमओआईसी रजिस्ट्रार के रूप में नामित हैं। 22 से 30 दिन के भीतर यदि कोई जन्म-मृत्यु का पंजीकरण कराने के लिए 2 रुपये का विलंब शुल्क जमा कर नामित रजिस्ट्रार के कार्यालय से प्रमाणपत्र प्राप्त कर सकते हैं।
जिलाधिकारी ने महिलाओं की मृत्यु को भी अनिवार्य रूप से दर्ज किया जाए। बताया कि जनपद में इस वर्ष 5,015 पुरुषों के मृत्यु पंजीकृत हुआ है, जिसके सापेक्ष 2809 महिलाओं की मृत्यु का ही प्रमाणपत्र प्राप्त किया गया है। उन्होंने कहा कि शीघ्र है प्रत्येक शुक्रवार को आयोजित होने वाले चौपाल में जन्म-मृत्यु पंजीकरण की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
जिलाधिकारी ने बताया कि 30 दिन के पश्चात लेकिन एक वर्ष से पूर्व जन्म अथवा मृत्य का प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए 5 रुपये के विलंब शुल्क के साथ एडिशनल डिस्ट्रिक्ट रजिस्ट्रार की संस्तुति की आवश्यकता होती है। नगरीय क्षेत्रों के लिए सीएमओ तथा ग्रामीण क्षेत्रों के लिए डीपीआरओ को एडिशनल रजिस्ट्रार के रूप में नामित किया गया है। एक वर्ष से अधिक अवधि के जन्म-मृत्यु पंजीकरण पर ही 10 रुपये के विलंब शुल्क के साथ एसडीएम की संस्तुति आवश्यक होती है।
संयुक्त निदेशक जनगणना कार्य एके राय ने जन्म व मृत्यु प्रमाण पत्र की आवश्यकता पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि कि जन्म मृत्यु पंजीकरण अधिनियम 1969 की धारा 14 के अनुसार जन्म लेने वाले बच्चों का बिना नाम के भी जन्म प्रमाण पत्र जारी किए जा सकते हैं। 15 वर्ष की आयु तक कभी भी नाम दर्ज कराया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जन्म-मृत्यु का पंजीकरण अत्यंत आवश्यक है। इससे सरकार को जनहित में जनकल्याणकारी योजनाओं के संचालन एवं कार्यक्रम आदि में सहायता मिलती है। जन्म प्रमाण पत्र व्यक्ति की पहचान, पासपोर्ट, नागरिकता, स्कूल में प्रवेश आदि में जरूरी है। मृत्यु प्रमाण पत्र संपत्ति, बीमा आदि लाभ, वरासत, मृतक आश्रित लाभ आदि के लिए जरूरी है। उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि संस्थागत मृत्यु के मामलों में मृत्यु के कारणों का चिकित्सा प्रमाणन अनिवार्य रूप से किया जाए।
बैठक में सीएडीओ रवींद्र कुमार, सीएमओ डॉ. राजेश झा, एसीएमओ डॉ संजय कुमार, सहायक निदेशक सीआरएस मनोज मौर्या, जिला विकास अधिकारी रविशंकर राय, ईओ रोहित सिंह सहित विभिन्न अधिकारीगण मौजूद थे।