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बुंदेलखंड राष्ट्र समिति ने गौरैया दिवस पर चिंतन गोष्ठी का किया आयोजन

 

आधुनिक जीवन शैली गौरैया के जीवन के लिए बना बाधा

 

गौरैया को बचाने के लिए किए जाएं हर संभव प्रयास

खखरेरू / फतेहपुर ::- 

थाना नगर पंचायत खखरेरू के अन्तर्गत विश्व गौरैया दिवस को निष्पक्ष देव विद्या मंदिर इंटर कालेज गुरसंडी में बुंदेलखंड राष्ट्र समिति ने चिंतन गोष्ठी आयोजित किया जिसमें कि l गोष्ठी में वक्ताओं व छात्रों ने अपने अपने विचार रखे और गौरैया बचाने का संकल्प लिया l और
समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रवीण पाण्डेय राज्य बुंदेलखंड निर्माण के लिए रिकार्ड तीस बार अपने खून से खत लिख चुके हैं जिसमें कि समिति द्वारा जल जंगल जमीन जीव जन बचे राज्य बुंदेलखंड बनने के लिए संघर्ष किया जा रहा है जिसमें कि चिंतन गोष्ठी में समिति के अध्यक्ष प्रवीण पाण्डेय ने कहा कि बचपन में मुझे याद है कि गौरैया के घोंसलों को घर की मिट्टी की दीवारों के दरारों में, बसों और रेलवे स्टेशन की छतों में देखा करता था।और तीखर के संरक्षण विनय अग्रहरी ने बताया दादी मां अपने घर के आंगन में धान, सांवां, ज्वा और बाजरों के गुच्छे लटकाती थीं, जिसके कारण बहुत अधिक गौरैया घरों में आती थीं। जिससे छप्पर के बांस के छिद्रों में उन्हें घोंसला बनाने में आसानी होती थी।
तीखर के अध्यक्ष प्रवीण अग्रहरी ने बताया कि गौरैया मनुष्य के साथ लगभग 10,000 वर्षों से रह रही है l उनकी आबादी में भारी गिरावट आ चुकी है l गांवों के लोग अभी भी गौरैया के चीं- चीं की आवाजों को सुन और महसूस कर लेते है आधुनिक जीवन शैली गौरैया को सामान्य रूप से रहने के लिए बाधा बन गई। पेड़ों की अन्धाधुन्ध कटाई, खेतों में कृषि रसायनों का अधिकाधिक प्रयोग, टेलीफोन टावरों से निकलने वाली तरंगें, घरों में सीसे की खिड़कियाँ इनके जीवन के लिए प्रतिकूल हैं। साथ ही साथ, जहां कंक्रीट की संरचनाओं के बने घरों की दीवारें घोंसले को बनाने में बाधक हैं वहीं घर, गाँव की गलियों का पक्का होना भी इनके जीवन के लिए घातक है, क्योंकि ये स्वस्थ रहने के लिए धूल स्नान करना पसंद करती हैं जो नहीं मिल पा रहा है। ध्वनि प्रदूषण भी गौरैया की घटती आबादी का एक प्रमुख कारण है।
आशीष पांडे ने कहा की घर के छतों, आँगन, खिड़कियों और छज्जों पर दाना और पानी जरूर रखें।
चंद्रिका ने कहा की
पहले की भांति घरों में धान, बाजरा इत्यादि की बालियां फिर से लटकाना शुरू कर दें।
दीपक ने कहा की
गौरैया के घोसला बनाने में मदद करें। यदि घर में कहीं घोसला बना रही हैं तो उन्हें न बिगाड़े।
आदित्य पाण्डेय ने कहा की हम कोशिश करें कि घर में कार्टून, खोखले बाँस के टुकड़े या मिट्टी की छोटी-छोटी बेकार मटकियों में छेद करके टांग दें।आंचल ने कहा हम गर्मियों में पीने के लिए पानी की उचित व्यवस्था करें।सभी ने गौरैया की स्थिति पर चिंता व्यक्त की l
मुख्य रूप से बुंदेलखंड राष्ट्र समिति, गंगा समग्र, तीखर के पदाधिकारी और विद्यालय के छात्र उपस्थित रहे l

Crime24hours/संवाददाता राज विश्वकर्मा 

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